सूक्ष्म सिंचाई एक उन्नत सिंचाई प्रणाली है जिसके द्वारा पौधे के जड़ क्षेत्र में विशेष रूप से निर्मित प्लास्टिक पाईपों द्वारा कम समय अन्तराल पर पानी दिया जाता है। तथा पारंपरिक सिंचाई की तुलना में 60 प्रतिशत कम जल की खपत होती है|
इस प्रणाली अन्तर्गत ड्रीप सिंचाई पद्दति, स्प्रिंकलर सिंचाई पद्दति एवं रेनगन सिंचाई पद्दति उपयोग किया जाता है। जिसके अन्तर्गत जल वितरण लाइनो और साज समान कन्ट्रोल हेड प्रणाली एवं उर्वरक टैन्क रहते हैं। इस प्रणाली को अपनाकर यदि उर्वरक का व्यवहार इसके माध्यम से किया जाय तो इससे लगभग 25 से 30 प्रतिशत उर्वरक की बचत होती है। इस सिंचाई प्रणाली से फसल के उत्पादकता में 40 से 50 प्रतिशत की वृद्धि तथा उत्पाद की गुणवता उच्च होती है। इस सिंचाई प्रणाली से खर-पतवार के जमाव में 60 से 70 प्रतिशत की कमी होती है जिसके कारण मजदुरों के लागत खर्च में कमी तथा पौधों पर रोगो के प्रकोम में भी कमी आती है।
वर्ष 2015-16 में भारत सरकार द्वारा इस सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा देने हेतु प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना प्रारंभ की गयी है। वर्तमान में बिहार में इस सिंचाई प्रणाली लगभग कुल आच्छादित क्षेत्र का 0.5 प्रतिशत क्षेत्र में ही अपनाया जा रहा है। कृषि रोड मैप 2017-22 में इस प्रणाली को कम से कम कुल आच्छादित क्षेत्र के लगभग 2 प्रतिशत क्षेत्रों में प्रतिष्ठापित किये जाने का लक्ष्य है, ताकि बिहार के सब्जी एवं फल का उत्पादकता एवं उत्पादन में बढ़ोतरी हो। इस योजना अन्तर्गत किसानों को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त टाॅप-अप प्रदान करते हुये सभी श्रेणी के कृषकों को ड्रीप अन्तर्गत 90 प्रतिशत एवं स्प्रिंकलर अन्तर्गत 75 प्रतिशत सहायता अनुदान देने का प्रावधान है।